प्रयोगशाला विधि (शिक्षण विधि) Laboratory Method - Study With Radhe

प्रयोगशाला विधि 
(Laboratory Method)
(Learning by observation) अवलोकन द्वारा सीखना + (learning by doing) करके सीखना पर आधारित विधि होती है।

    - इस विधि को विज्ञान तथा गणित शिक्षण की श्रेष्ठतम विधियों में से एक विधि माना जाता है जिसमें बालक स्वयं सक्रिय रहते हुए प्रायोगिक कार्यों के माध्यम से सैद्धांतिक ज्ञान की पुष्टि करता है जिससे उससे पुनर्बलन मिलता है।

    - इस विधि का आधार आगमन विधि होती हैं| किंतु सिद्धांतों निष्कर्षों की प्राप्ति क्रियात्मक रूप से की जाती है इसलिए प्रयोगशाला विधि को आगमन विधि का क्रियात्मक रूप भी कहा जाता है।

    - प्रयोगशाला विधि  में ज्ञान का आधार ज्ञानेंद्रियां होती है| और प्राप्त ज्ञान स्थाई होता है।
    
    - बालक संपूर्ण प्रक्रिया में सक्रिय रहता है| तथा अध्यापक केवल परामर्शदाता की भूमिका में होता है| इसीलिए यह एक श्रेष्ठ प्रजातांत्रिक विधि मानी जाती है।

     - प्रयोगशाला विधि शिक्षण के कौशलात्मक उद्देश्य की प्राप्ति की श्रेष्ठ विधि होती है।


शिक्षण सूत्र
  1.  उदाहरण से नियम
  2.  प्रत्यक्ष से प्रमाण
  3.  ज्ञात से अज्ञात
  4.  विशिष्ट से सामान्य
  5.  स्थूल से सूक्ष्म
  6.  मूर्त से अमूर्त

प्रायोगिक विधि के गुण व दोष

प्रायोगिक विधि के गुण:-
  1.  ज्ञान का आधार ज्ञानेंद्रियां होती हैं अतः स्थाई रूप से ज्ञान अर्जित किया जाता है।
  2.  स्वयं करके सीखने पर आधारित होती है|
  3.  बालकों को अधिकाधिक क्रियाशील रखती हैं|
  4.  शिक्षण के कौशलात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती हैं।
  5.  व्यवहार के तीनों पक्षों का विकास करती है| (ज्ञानात्मक पक्ष भावात्मक पक्ष क्रियात्मक पक्ष)
  6.  सैद्धांतिक ज्ञान पुष्टिकरण होता है|
  7.  बालकों में अनुसंधानात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है।

प्रायोगिक विधि के दोष:-
  1.  खर्चीली विधि है|
  2.  सभी प्रकरणों या उप विषयों को इस विधि से नहीं पढ़ाया जा सकता है|
  3.  लंबी प्रक्रिया होती हैं अतः पाठ्यक्रम का विकास धीमी गति से होता है|
  4.  छोटी कक्षाओं के लिए अनुपयोगी विधि है।|



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