प्रोजेक्ट विधि या प्रायोजना विधि
Project Method
सर्वप्रथम इसका विचार प्रसिद्ध शिक्षाविद जॉन डयूवी ने दिया था।
प्रतिपादक - विलियम क्लिपैट्रिक
- यह सहकारिता आधारित क्रियात्मक विधि मानी जाती हैं
(सहकारिता - Co-operative)
क्लिपैट्रिक के अनुसार:-
" प्रायोजना एक सोद्देश्य क्रिया है जिससे सामाजिक वातावरण में मन लगाकर पूरा किया जाता है| "
इसमें स्वरुचि का सिद्धांत व स्वागति का सिद्धांत निहित होता है।
- गांधी जी ने अपने बेसिक शिक्षा मॉडल में प्रायोजना विधि के प्रयोग पर ही बल दिया था।
प्रायोजना विधि के सोपान:-
- समस्या की उपस्थिति परिस्थितियों का निर्माण
- प्रयोजना का चयन
- प्रायोजना की रूपरेखा बनाना उत्तरदायित्व का विभाजन करना
- प्रयोजना का क्रियान्वयन करना
- प्रायोजना का मूल्यांकन करन
- प्रायोजना का लेखा जोखा रखना अभिलेख संधारण
प्रयोजन विधि के चार प्रकार होते हैं।
- सृजनात्मक / रचनात्मक प्रायोजना
- समस्यात्मक प्रायोजना
- अभ्यास प्रायोजना
- आनंददाई रसास्वादन प्रायोजना
प्रायोजना विधि के गुण व दोष
प्रायोजना विधि के गुण:-
- यह सहकारिता आधारित क्रियात्मक विधि हैं।
- शिक्षण की कौशलात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक हैं।
- समवाय (Co-relationship) के सिद्धांत का पालन करती है।
- बालकों में सामाजिक गुण का विकास करती हैं।
- बालक से परिश्रम करके समस्या समाधान तक पहुंचता है।
प्रायोजना विधि के दोष:-
- लंबी प्रक्रिया है अतः पाठ्यक्रम का विकास धीमी गति से करती हैं।
- छोटे बालकों के लिए अनुपयोगी विधि हैं।
- प्रत्येक प्रकरण को इस विधि द्वारा नहीं पढ़ाया जा सकता है।
- समन्वय स्थापित न र पाने की दशा में अपेक्षित अधिगम नहीं हो पाता है।
- आगमन विधि ( Inductive Method )
- निगमन विधि ( Deductive Method )
- विश्लेषण विधि ( Analysis Method )
- संश्लेषण विधि ( Synthesis Method )
- प्रयोगशाला विधि ( Laboratory Method )
- ह्यूरिस्टिक विधि (Heuristics Method)
- प्रोजेक्ट/प्रायोजना विधि (Project Method)
- प्रदर्शन विधि (Demonstration Method
(उपरोक्त विधियों के नाम पर क्लिक करके विस्तृत जानकारी प्राप्त करें)
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