How to apply Bloom's method on students In Hindi - Study With Radhe

How to apply Bloom's method on students?
ब्लूम की वर्गिकी को विद्यार्थियों पर कैसे लागू करें।


    ब्लूम की वर्गिकी को लागू करने से पहले हमें उसके बारे में कुछ सामान्य जानकारी होना आवश्यक है, जो निम्न है।

ब्लूम ने शिक्षण के उद्देश्यों को तीन भागों में विभक्त किया।
  1.  ज्ञानात्मक पक्ष
  2.  भावात्मक पक्ष
  3.  क्रियात्मक पक्ष
(निम्न पक्षों की विस्तृत जानकारी के लिए पक्षों के नाम पर क्लिक करें।)

इसे ब्लूम का 3-H  का नियम भी कहते हैं.।
  1.  Head 
  2.  Heart
  3.  Hand 

    ब्लूम की वर्गिकी के अनुसार विद्यार्थियों को एक ही साथ तीनों पक्षों का ज्ञान नहीं दिया जा सकता है| उसके लिए सर्वप्रथम, प्रथम पक्ष का ज्ञान दिया जाएगा| उसके बाद ही हम बालकों को दूसरे पक्ष का ज्ञान देंगे| तथा तीसरे पक्ष का ज्ञान उसके बाद दिया जाएगा।

    विशेष - ब्लूम के अनुसार प्रथम व द्वितीय पक्ष का ज्ञान अध्यापक द्वारा दिया जाएगा| तथा तृतीय पक्ष में विद्यार्थी स्वयं करके सीखेगा और अध्यापक अवलोकन करेगा।


    प्रथम पक्ष का ज्ञान बालकों तक पहुंचाने के लिए अध्यापक द्वारा किए जाने वाले प्रयत्नों को हम एक उदाहरण के रूप में समझेंगे।

    जैसे कि आप सभी को पता है की प्रथम पक्ष ज्ञानात्मक पक्ष हैं इसमें अध्यापक बालकों को ज्ञान देगा| अर्थात किसी अज्ञात वस्तु या विषय के बारे में बताएगा।

उदाहरण - यदि किसी विद्यार्थी को मोटरसाइकिल का पता ही नहीं है| तो अध्यापक का काम सर्वप्रथम यह होगा कि वह विद्यार्थी को मोटरसाइकिल के बारे में बताएं तथा उसको कैसे चलानी है यह मौखिक रूप से बताएं।

अध्यापक द्वारा इस पक्ष के ज्ञान को देने के लिए कक्षा कक्ष में किए जाने वाले कुछ कार्य - 
  1.  विद्यार्थियों में जिज्ञासा उत्पन्न करने वाली पाठ योजना का क्रियान्वयन करना।
  2.  विद्यार्थियों को मूल वातावरण से जोड़ना।
  3.  दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले उदाहरणों को बताना।
  4.  विषय वस्तु पर उदाहरण प्रस्तुत करें। इत्यादि।


    इस पक्ष में अध्यापक द्वारा जो ज्ञान प्रथम पक्ष में दिया गया है| उसी के आधार पर विद्यार्थियों में भाव उत्पन्न करना| अर्थात विद्यार्थी स्वयं कुछ कार्य करने के लिए प्रेरित हो| 

हम पिछले पक्ष में किए गए उदाहरण को आगे बढ़ाते हैं - 
    अभी विद्यार्थियों को मोटरसाइकिल कैसे चलानी है यह हमने मौखिक रूप से उसे बता दिया है| अब विद्यार्थी के स्वयं के मन में एक जिज्ञासा उत्पन्न होगी कि मैं मोटरसाइकिल को चलाऊं| अर्थात विद्यार्थी के मन में मोटरसाइकिल को चलाने का भाव उत्पन्न हो रहा है।

इस पक्ष में अध्यापक द्वारा किए जाने वाले कार्य - 
  1. ऐसे प्रश्नों का निर्माण करें जिसमें विद्यार्थियों की जिज्ञासा उत्पन्न हो अर्थात उनमें उस विषय वस्तु के बारे में अधिक से अधिक जानने तथा प्रश्न पूछने की शक्ति उत्पन्न हो।
  2. कैसे और क्यों वाले प्रश्नों का निर्माण।
  3. विद्यार्थियों को समूह में कार्य करवाएं।


    ब्लूम की वर्गिकी का यह अंतिम व सर्वोत्तम पक्ष हैं। इसमें विद्यार्थियों को पूर्व के दोनों पक्षों में दिए गए ज्ञान को प्रायोगिक रूप में करके सिद्ध करने की भावना उत्पन्न होती हैं। अर्थात विद्यार्थी में कार्य करने की क्षमता उत्पन्न होती हैं।

इसे हम अपने उदाहरण से समझते हैं
    अभी विद्यार्थी को मोटरसाइकिल के बारे में ज्ञान प्राप्त हो चुका है| उसके मन में उसे चलाने की भावना उत्पन्न हो चुकी है| अर्थात तृतीय अथवा अंतिम पक्ष में अब मोटरसाइकिल को स्वयं चलाएगा।

अध्यापक द्वारा किए जाने वाले कार्य- 
  1. कक्षा कक्षा में प्रायोगिक कार्य करवाना।
  2. ऐसे प्रश्नों का निर्माण करना जिसमें कुछ त्रुटि हो तथा विद्यार्थियों को निर्देश दिए जाएं कि इन त्रुटियों को दूर करें।
  3. छात्रों का मूल्यांकन करें।
  4. विद्यार्थियों से विषय वस्तु पर प्रश्न निर्माण करवाना।
  5. वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करना।


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