गणित विषय की प्रकृति, महत्ता
गणित विषय की प्रकृति ( Nature of Mathematics )
1. गणित की प्रकृति सर्पिलाकार होती है। इसके सम्प्रत्यय एक-दूसरे से इतने अन्तर्सम्बन्धित होते हैं कि बिना निचले स्तर के सम्प्रत्ययों का अधिगम किये उच्च स्तर के सम्प्रत्ययों को नहीं सीखा जा सकता।
2. गणित की स्वयं की एक भाषा होती है। विभिन्न गणितीय चिह्न, प्रतीक संकेत, सम्प्रत्यय विशिष्ट निष्कर्षों की उत्पत्ति करते
3. गणित के निष्कर्ष सदेव अविवादास्पद होते हैं तथा सार्वभौमिक प्रकृति के होते हैं। इसलिये अन्य विषयों की तुलना में गणित विषय अधिक विश्वसनीय तथा स्थाई होता है। गणितीय निष्कर्षों की जाँच किसी भी समय/स्थान/परिस्थिति में की जा सकती है।
4. गणित केवल एक गणनात्मक कौशल ही नहीं बल्कि इससे भी अधिक एक तार्किक संरचना होती है। इसका प्रमुख आधार सत्य का विवेचन होता है।
5. गणित यथार्थ, क्रमबद्ध, तार्किक तथा स्पष्ट होता है। इस दृष्टि से यह विद्यार्थियों के दृष्टिकोण को तार्किक बनाता है।
6. गणित में मूर्त चिंतन से अमूर्त चिंतन की ओर अग्रसर होते हैं तथा अमूर्त सम्प्रत्ययों को मूर्त रूप में परिवर्तित करके उनकी व्याख्या की जाती है।
7. गणित विषय समस्त परिवेशीय अवधारणाओं/प्रत्ययों के पारस्परिक एवं तुलनात्मक सम्बन्ध का आधार होता है।
8. गणित विषय के अध्ययन से बालकों में आगमनात्मक तथा निगमनात्मक चिंतन का आधार उत्पन्न होता है तथा उनमें सामान्यीकरण की क्षमता विकसित होती है।
9 गणितीय अध्ययन की क्रमबद्धता, तार्किकता तथा स्पष्टता वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करती है। प्राथमिक आंकड़ों (सूचनाओं) से प्राप्त तथ्यों का व्यवस्थीकरण करते हुये निश्चित सिद्धान्तों। निष्कर्षों की खोज की जाती है।
10. विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे भौतिकी, भूगर्भिकी, खगोलविज्ञान, रसायन विज्ञान आदि में गणनाओं का मुख्य आधार गणित ही होता है। बिना गणित के अस्तित्व के इन विषयों की कल्पना नहीं की जा सकती।
NCF - 2005
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 के अनुसार गणित को केवल स्कूली विषय ना मानी जाए यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो बालकों में समस्या समाधान के विशिष्ट दृष्टिकोण का निर्माण करती हैं इसलिए गणित को परिवेशीय संदर्भ से जोड़ते हुए रोचक तरीकों से पढ़ाया जाए।
गणितज्ञों/ शिक्षाविदों ने गणित विषय को अनिवार्य रूप से विद्यालयी विषय के रूप में रखने पर बल दिया।
बंट्रेन्ड रसेल की पुस्तक - An Intraducation To Mathematical Philosophy के अनुसार
1. प्रत्येक बालक गणित सीख सकता है
2. प्रत्येक बालक को गणित सीखना चाहिए
3. गणित बालकों की सोच का तार्किकीकरण /गणितीयीकरण करता है
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