निगमन विधि (शिक्षण विधि) Deductive Method - Study With Radhe

निगमन विधि
( Deductive Method )


प्रतिपादक - प्लूटो

- यह विधि आगमन विधि की विपरीत विधि हैं

- इस विधि में विद्यार्थियों को सूत्र / सिद्धांत / नियम का प्रारंभ में ही ज्ञान करा दिया जाता है, तथा उस पर आधारित समस्याओं उदाहरण को हल किया जाता है।

शिक्षण सूत्र 
( Teaching thread )

  1.  सूक्ष्म से स्थूल की ओर।
  2.  नियम से उदाहरणों की ओर।
  3.  सामान्य से विशिष्ट की ओर।
  4.  प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर।
  5.  अज्ञात से ज्ञात की ओर।

निगमन विधि के सोपान:-

  1.  सिद्धांत / सूत्र नियम का ज्ञान कराना।
  2.  आंकड़े / सूचनाएं तथ्यों का परीक्षण।
  3.  सिद्धांत या सूत्र / नियम का प्रयोग।
  4.  उदाहरणों का सत्यापन।

निगमन विधि के गुण दोष:-

निगमन विधि के गुण:-

  1.  सरल तथा व्यवहारिक विधि।
  2.  पाठ्यक्रम का विकास तेजी से करती हैं।
  3.  अधिकांश पाठ्यपुस्तकें इसी विधि पर आधारित है।
  4.  उच्च कक्षाओं के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
  5.  कम समय में अधिक ज्ञान प्रदान करती हैं।
  6.  परंपरागत शिक्षण में इसी विधि का प्रयोग होता है।

निगमन विधि के दोष:-

  1.  अमनोवैज्ञानिक विधि है। जो तर्क चिंतन जोशी मानसिक शक्तियों का विकास नहीं करती है।
  2.  रटने की प्रवृत्ति पर बल देती है।
  3.  इस विधि से प्राप्त ज्ञान अस्थाई होता है।
  4.  केवल अनुकरण का मार्ग होता है अर्थात खोजने जैसी कोई क्रिया इसमें निहित नहीं है।
  5.  यह अध्यापक केंद्रित विधि हैं अर्थात संपूर्ण क्रिया में अध्यापक सक्रिय तथा विद्यार्थी निष्क्रिय रहता है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ