निगमन विधि
( Deductive Method )
प्रतिपादक - प्लूटो
- यह विधि आगमन विधि की विपरीत विधि हैं।
- इस विधि में विद्यार्थियों को सूत्र / सिद्धांत / नियम का प्रारंभ में ही ज्ञान करा दिया जाता है, तथा उस पर आधारित समस्याओं उदाहरण को हल किया जाता है।
शिक्षण सूत्र
( Teaching thread )
- सूक्ष्म से स्थूल की ओर।
- नियम से उदाहरणों की ओर।
- सामान्य से विशिष्ट की ओर।
- प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर।
- अज्ञात से ज्ञात की ओर।
निगमन विधि के सोपान:-
- सिद्धांत / सूत्र नियम का ज्ञान कराना।
- आंकड़े / सूचनाएं तथ्यों का परीक्षण।
- सिद्धांत या सूत्र / नियम का प्रयोग।
- उदाहरणों का सत्यापन।
निगमन विधि के गुण दोष:-
निगमन विधि के गुण:-
- सरल तथा व्यवहारिक विधि।
- पाठ्यक्रम का विकास तेजी से करती हैं।
- अधिकांश पाठ्यपुस्तकें इसी विधि पर आधारित है।
- उच्च कक्षाओं के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
- कम समय में अधिक ज्ञान प्रदान करती हैं।
- परंपरागत शिक्षण में इसी विधि का प्रयोग होता है।
निगमन विधि के दोष:-
- अमनोवैज्ञानिक विधि है। जो तर्क चिंतन जोशी मानसिक शक्तियों का विकास नहीं करती है।
- रटने की प्रवृत्ति पर बल देती है।
- इस विधि से प्राप्त ज्ञान अस्थाई होता है।
- केवल अनुकरण का मार्ग होता है अर्थात खोजने जैसी कोई क्रिया इसमें निहित नहीं है।
- यह अध्यापक केंद्रित विधि हैं अर्थात संपूर्ण क्रिया में अध्यापक सक्रिय तथा विद्यार्थी निष्क्रिय रहता है।
- आगमन विधि ( Inductive Method )
- निगमन विधि ( Deductive Method )
- विश्लेषण विधि ( Analysis Method )
- संश्लेषण विधि ( Synthesis Method )
- प्रयोगशाला विधि ( Laboratory Method )
- ह्यूरिस्टिक विधि (Heuristics Method)
- प्रोजेक्ट/प्रायोजना विधि (Project Method)
- प्रदर्शन विधि (Demonstration Method
(उपरोक्त विधियों के नाम पर क्लिक करके विस्तृत जानकारी प्राप्त करें)
0 टिप्पणियाँ