कम्प्यूटर के विकास से पूर्व गणना में प्रयुक्त यंत्र
- अबेकस या गिनतारा (ABACUS)- हजारों वर्षों से प्रयोग में लाए जाने वाले गिनती सिखाने के यंत्र को 'अबेकस' कहते हैं। चीन में विकसित इस यंत्र में तारों (String) में दहाई व इकाई की गणनाओं के लिए विभिन्न मोती या मणिए (Beads) लगे होते हैं। इसका उपयोग आंकिक गणना हेतु किया जाता है।
- नेपियर बोन्स (Napier's Bones)- स्कॉटलैण्ड के गणितज्ञ जॉन नेपियर ने सन् 1617 ई. में कुछ ऐसी आयताकार पट्टियों का निर्माण किया था, जिनकी सहायता से गुणा करने की क्रिया अत्यन्त शीघ्रतापूर्वक की जा सकती थी। ये पट्टियाँ जानवरों की हड्डियों से बनी थीं, इसलिए इन्हें नेपियर बोन्स कहा गया।
- लघुगुणक विधि- जॉन नैपियर ने ही 1617.ई. में लघुगणक विधि (Algorithm) का विकास किया।
- सन् 1620 में जर्मनी के गणितज्ञ विलियम ऑटरेड ने स्लाइड रूल नामक ऐसी वस्तु का आविष्कार किया, जो लघुगणक विधि के आधार पर सरलता से गणनाएँ कर सकती थी। इसमें दो विशेष प्रकार से चिह्नित पट्टियां होती है, जिन्हें बराबर में रखकर आगे-पीछे सरकाया जा सकता है। स्लाइड रूल का उपयोग वैज्ञानिक गणनाओं में कई वर्षों तक किया जाता रहा।
- पास्कल कैलकुलेटर- सन् 1642 में फ्रांस के गणितज्ञ पास्कल ब्लैज ने जोड़ने की मशीन का आविष्कार किया यह पहला मशीन केलकुलेटर था। इस कैलकुलेटर में इण्टर लॉकिंग गियर्स 0 से 9 तक की संख्या को दर्शाते थे तथा इससे केवल योग (addition) एवं बाकी (subtraction) की गणनाएँ संभव थी। अतः इसे adding मशीन भी कहते थे उपयोगिता के कारण यह मशीन काफी प्रचलित हुई
- लेबनिज का यांत्रिक कैलकुलेटर (Mechanical Calculator of Leibnitz)- जर्मन गणितज्ञ लेबनिज ने सन 1671 में पास्कल के कैलकुलेटर में कई सुधार करके एक ऐसी जटिल मशीन का निर्माण किया, जो जोड़ने तथा घटाने के साथ ही गुणा करने तथा भाग देने में भी समर्थ थी इस यंत्र से गणनाए करने की गति बहुत तेज हो गई।
- जेकार्ड की बुनाई मशीन - जोसेफ-मेरी जैकार्ड (1752-1834) फ्रॉस का एक बुनकर और टैक्सटाइल इंजीनियर था सन 1801 मैं उसने एक ऐसी बुनाई मशीन का निर्माण किया जिसमें बुनाई की डिजाइन डालने में छिद्र किए हुए कार्डो (पंचकार्ड) का उपयोग किया जाता था जेकार्ड कि इस खोज का असली महत्व काफी समय बाद चार्ल्स बैबेज ने पहचाना। वास्तव में उन्होंने एक एनालिटिकल इंजन की जो डिजाइन तैयार की थी उसमेंं इनपुट देने का कार्य चित्र किए हुए कार्डों द्वारा ही किया जाना था।
- चार्ल्स बैबेज का डिफरेन्स इंजिन- 1822 में इस इंजिन का आविष्कार कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गणित के प्रोफेसरचार्ल्स बैबेज ने किया था। इससे बीजगणितीय फलन व व्यंजक (Algebraic Expressions) आसानी से हल किए जा सकते थे। इस मशीन द्वारा 20 अंकों तक सही हल निकाला जा सकता था।
- हॉलरिथ की टेबुलेटिंग मशीन- कार्डी (कागज के) पर छेद करने की प्रणाली पर आधारित इस सेंसस मशीन काआविष्कार हरमैन हॉलरिथ ने 1880 में किया था। इसके उपयोग द्वारा USA की सफल जनसंख्या-गणना ने इसको अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलवाई।
- पंचकार्ड युक्ति- 1889 में हरमैन हॉलरिथ ने पंच कार्ड युक्ति का प्रतिपादन किया। यह इनपुट युक्ति है जिसकी सहायता से डेटा कम्प्यूटर तक पहुँचाया जाता है। इनमें वास्तविक इनपुट का निर्धारण छिद्रों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति द्वारा निर्धारित होता है। यह आजकल के कम्प्यूटर कार्ड की तरह था।
डॉ. होलरिथ की इस सफलता से पूरी दुनिया में उनकी मशीनों को लोकप्रियता मिली। आगे चलकर डॉ. होलरिथ ने अपनी टेबुलेटिंग मशीन कम्पनी बनायी, जिसने पंचिंग कार्ड युक्त मशीनों का व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया। यही कम्पनी बाद में इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कार्पोरेशन (International Business Machine Corporation ), संक्षिप्त में आई.बी.एम. (IBM) के नाम से प्रसिद्ध हुई, जो आज भी दुनिया में कम्प्यूटर बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है।
1937 के बाद नई तकनीकी का सिलसिला जारी हो गया जिसके अन्तर्गत मार्क फर्स्ट (91937-44) विकास हुआ। इसका विकास हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय (अमेरिका) के वैज्ञानिक एच. आइकन ने किया। यह कम्प्यूटर(mark-I) आज के कम्प्यूटर का प्रोटोटाइप था
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